महिला समानता दिवस, महिलाओं के हक की लड़ाई का प्रतीक: पायल अग्रवाल
अभिनव इंडिया/अभिनव अग्रवाल
नजीबाबाद। प्रतिवर्ष 26 अगस्त को मनाया जाने वाला महिला समानता दिवस, महिलाओं के लिए समान अधिकारों और अवसरों के लिए चल रहे संघर्ष की वैश्विक मान्यता का प्रतीक है।
शिक्षिका पायल अग्रवाल ने बताया कि महिला समानता दिवस महिलाओं को जीवन में समान अवसर, समान शिक्षा, समान वेतन, स्वास्थ्य, राजनीतिक भागीदारी और समान सामाजिक सम्मान की मांग का प्रतीक है। हमारे देश में आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाओं की स्थिति गौर करने के लायक है। महिला होने के कारण उन्हें अपने घर में और समाज में असमानता को झेलने के लिए विवश होना पड़ता है। चाहे वह घर में बेटी हो, पत्नी हो, माता हो या बहन हो उन्हें समाज के अस्वस्थ वातावरण का सामना करना पड़ता हैं। वर्तमान समय में भी समाचार पत्रों में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी खबरों को पढ़ा जा सकता है, साथ ही महिलाएं अपने ही घर में सिर्फ इसीलिए प्रताड़ित हो रही हैं, क्योंकि वह एक औरत है।
महिलाएं हमेशा से ही परिवर्तन और प्रगति में अग्रणी रही हैं, महिलाएं अपनी आवाज को बुलंद कर रही है, उन्होंने बाधाओं और रूढ़िवादिता को तोड़ा है। सभी महिलाएं दशकों से समानता और सशक्तिकरण के लिए लड़़ रही हैं। महिलाओं का सशक्तिकरण केवल एक सामाजिक आवश्यकता नहीं, बल्कि एक प्रगतिशील समाज की पहचान भी है। जब महिलाओं को शिक्षा, रोजगार और निर्णय लेने की स्वतंत्रता मिलती है, तो पूरा समाज आगे बढ़ता है। महिलाएं अपने अद्भुत आत्मबल, दृढ़ इच्छा-शक्ति और संकल्प के साथ हर क्षेत्र में अपनी विशिष्ट पहचान बना रही हैं। महिलाओं ने अभी बहुत कुछ पा लिया है लेकिन अभी भी बहुत कुछ काम बाकी है।
आज महिलाएं सभी मोर्चा पर पुरुषों को टक्कर दे रही हैं। चाहे वह देश को चलाने की बात हो या फिर घर को संभालने की, यहां तक कि देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी वे बखूबी निभा रही हैं। महिलाओं ने हर जिम्मेदारी को पूरी तन्मयता से निभाया है, लेकिन आज भी अधिकांश मामलों में उन्हें समानता हासिल नहीं हो पाई है। इसलिए महिला समानता दिवस के महत्व को समझना और मानना आवश्यक है।
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