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हेल्थ

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आचार्य मनीष ने की डॉ. बीआरसी की लैट यौर सेकेंड हार्ट हैल्प बुक लॉन्च 
अभिनव इंडिया/योगी
नई दिल्ली।
आयुर्वेद और प्राकृतिक चिकित्सा से किडनी फेल, लीवर फेल, कैंसर और हृदय रोगों का सफल इलाज संभव है। आचार्य मनीष और डॉ. बिस्वरूप रॉय चौधरी (बीआरसी) ने हिम्स मेरठ में पत्रकारों से बातचीत में कही। डॉ. बीआरसी ने अपनी नई किताब लैट योर सेकेंड हार्ट हैल्प के जरिए, सिलाई सबसे स्वास्थ्यप्रद पेशा नामक अध्ययन जारी किया। इसमें एक आश्चर्यजनक तथ्य सामने आया कि दर्जी, बैठे रहने वाले काम के बावजूद, हमारे बीच सबसे स्वस्थ समूह के रूप में उभरे हैं। 
हिम्स के सह-संस्थापक, डॉ. बीआरसी ने कहा, कोई व्यक्ति लैट यौर सेकेंड हार्ट हैल्प पढक़र दूसरों की मदद कर सकता है या हमारे 2 माह के ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से एक हैल्प प्रैक्टिशनर बनकर पेशेवर रूट अपना सकता है। जिसमें दयानंद आयुर्वेदिक कॉलेज, जालंधर में 7 दिन  का व्यावहारिक प्रशिक्षण शामिल है। सिलाई मशीन चलाते समय दर्जी द्वारा फुट-पैडल चलाने से पिंडली की मांसपेशियों सक्रिय होती हैं। जिन्हें अक्सर दूसरा हृदय भी कहा जाता है। हमारा लक्ष्य किसी बीमारी का मूल कारण ढूंढना है। इसके लिए हम किसी गंभीर बीमारी के इलाज के लिए विशेष रूप से एकीकृत विज्ञान का सहारा लेते हैं।
हिम्स आयुर्वेद के संस्थापक, आचार्य मनीष, जो सक्रिय रूप से आयुर्वेद का प्रसार करते रहे हैं, ने कहा कि जीवनशैली में बदलाव और पुरानी उपचार तकनीकों के माध्यम से जानलेवा बीमारियों का इलाज संभव है। इसके साथ ही, आयुर्वेद व प्राकृतिक चिकित्सा की प्रभावशीलता बताने वाले परिणाम और प्रमाण भी प्रस्तुत किए गए। हिम्स में शरीर की आंतरिक शक्ति को बढ़ाकर किडनी, कैंसर, लिवर, शुगर, बीपी और हृदय रोगों को दूर करने पर जोर दिया जाता है।
आचार्य मनीष ने कहा, विभिन्न डायलिसिस रोगी अन्य अस्पतालों में समय और पैसा गंवाने के बाद हिम्स पहुंचते हैं। हमारी टीम आवश्यक उपचार प्रदान करने के लिए अथक प्रयास करती है। इस तरह हमने किडनी फेल, लिवर फेल, कैंसर, हृदय रोग व थैलेसीमिया रोगियों का इलाज किया है। हिम्स मेरठ में जानलेवा बीमारियों से पीड़ित मरीज कुछ ही माह में पूरी तरह ठीक हुए हैं।
डॉ. बीआरसी डीआईपी डाइट के जनक हैं, जो भारत (आयुष मंत्रालय), नेपाल (राष्ट्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय), और मलेशिया (लिंकन विश्वविद्यालय) में नैदानिक परीक्षणों के माध्यम से मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, हड्डी रोगों व क्रोनिक किडनी रोगों में प्रभावी साबित हुई है। वह मरीजों को डायलिसिस पर निर्भरता खत्म करने में मदद करने के लिए गुरुत्वाकर्षण-आधारित ग्रैड सिस्टम के भी आविष्कारक हैं। पैक चंडीगढ़ से स्नातक, वह मधुमेह में स्नातकोत्तर और मधुमेह व क्रोनिक किडनी रोग में मानद पीएचडी हैं। 
हिम्स में मरीजों को उचित इलाज और स्वास्थ्य लाभ के लिए मिलेट (श्रीअन्न) और जड़ी-बूटियों से बना भोजन दिया जाता है। हिम्स पोस्टुरल थेरेपी का भी उपयोग करता है जो डायलिसिस को 70त्न तक रोक सकती है। इस थेरेपी से हाई बीपी के 100त्न मरीज बिना किसी दवा के अपना बीपी नियंत्रित कर सकते हैं। गौरतलब है कि हिम्स में मरीज एसबीआई कैशलेस आरोग्य संजीवनी पॉलिसी के जरिए मुफ्त इलाज करा सकते हैं। आज देशभर में 100 से अधिक शुद्धि क्लीनिक मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हिम्स के सेंटर भारत के कई शहरों में स्थापित हैं, जैसे मेरठ, चंडीगढ़, लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, संगरूर, गुरुग्राम, लखनऊ, मुंबई, ठाणे, भागलपुर और गोवा। देश में 250 से अधिक डॉक्टर इन केंद्रों में सेवारत हैं।
 

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